The Architectural History Of Minakshi Temple

मीनाक्षी मंदिर एक अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर है, जो तमिलनाडु के मदुरई में स्थित है। यह मंदिर देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर को समर्पित है, जिनकी अमर प्रेम कहानी इस मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी है।

इस मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में बनाई गई है, जो अपनी जटिल नक्काशी, सुंदर पेंटिंग, और उत्कृष्ट मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में 12 भव्य गोपुरम हैं, जो अतीव विस्तृत रूप से शिल्पित हैं।

मीनाक्षी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक पर्यटन स्थल के रूप में भी यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है, और इसका मुख्य कारण इसकी राजसी वास्तुकला और सुंदरता है

1.Minakshi Temple का विशेषता 

मीनाक्षी मंदिर

मीनाक्षी मंदिर की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. द्रविड़ वास्तुकला: मीनाक्षी मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में बनाई गई है, जो अपनी जटिल नक्काशी, सुंदर पेंटिंग, और उत्कृष्ट मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।

2. 12 गोपुरम: मीनाक्षी मंदिर में 12 भव्य गोपुरम हैं, जो अतीव विस्तृत रूप से शिल्पित हैं। ये गोपुरम मंदिर की वास्तुकला को और भी आकर्षक बनाते हैं।

3. मीनाक्षी और सुंदरेश्वर मंदिर: मीनाक्षी मंदिर दो अलग-अलग मंदिरों से बना है – एक मीनाक्षी देवी के लिए और दूसरा सुंदरेश्वर भगवान के लिए।

4. हॉल ऑफ ए थाउजेंड पिलर्स: मीनाक्षी मंदिर में एक हॉल ऑफ ए थाउजेंड पिलर्स है, जो अपनी सुंदर वास्तुकला और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

5. प्राचीन इतिहास: मीनाक्षी मंदिर का इतिहास प्राचीन है, और इसका उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।

6. सांस्कृतिक महत्व: मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यहाँ की सांस्कृतिक गतिविधियाँ और त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

7. पर्यटन स्थल: मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, और यहाँ प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं।

2.श्री मीनाक्षी मंदिर, मदुरै का इतिहास 

मदुरै का इतिहास 

श्री मीनाक्षी मंदिर के बारे में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण और रोचक है। श्री मीनाक्षी मंदिर मदुरै, तमिलनाडु में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माँ पार्वती के मीनाक्षी माता रूप और बाबा भोले नाथ के सुंदरेश्वर रूप को समर्पित है।

मंदिर का निर्माण पांड्या शासनकाल के दौरान कुलशेखर पांड्या ने करवाया था, और इसका निर्माण ईसा की शुरुआत में हुआ था। मंदिर का उल्लेख 7वीं शताब्दी के दौरान रहने वाले महान हिंदू संत थिरुगनासंबंदर के गीतों में भी है।

मंदिर का इतिहास बहुत ही ज्यादा पुराना और समृद्ध है। मंदिर को 12वीं या 13वीं शताब्दी के दौरान अल्लाउद्दीन खिलजी ने कुछ हद तक नष्ट कर दिया था, लेकिन बाद में इसका विस्तार और जीर्णोद्धार किया गया।

थिरुमलाई नायक (1623-55 ई.) के शासन के दौरान मंदिर का विस्तार किया गया, और इस समय के दौरान मंदिर की वर्तमान संरचना अस्तित्व में आई। आज, श्री मीनाक्षी मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जो अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है।

महादेव यज्ञ प्रसन्न

महादेव यज्ञ प्रसन्न

मीनाक्षी देवी मंदिर के बारे में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण और रोचक है। मीनाक्षी देवी मंदिर मदुरै, तमिलनाडु में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माँ मीनाक्षी देवी को समर्पित है। मंदिर की कहानी के अनुसार, यह मंदिर पांडियन वंश के राजा मलयध्वज और उनकी पत्नी रानी कंचनमलाई के भक्ति की वजह से बनाया गया था।

राजा निःसंतान थे और इसलिए उन्होंने संतान प्राप्ति का आशीर्वाद पाने के लिए यज्ञ किया। महादेव राजा के इस यज्ञ से प्रसन्न हो कर, राजा और रानी को वरदान दिया की आपके है एक लड़की जन्म लेगी जो माँ पार्वती के रूप होंगी और उनकी शादी महादेव के एक अवतार सुंदरेश्वर से होगी। देवी पार्वती लड़की के रूप में आईं। उस लड़की की आँखे मछली जैसी थी और मछली को संस्कॄत में मीन कहते है। इस लिए लड़की का नाम मीनाक्षी रखा गया। राजा ने लड़की को अपने सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित किया। बाद में देवी ने भगवान शिव से विवाह किया और फिर लंबे समय तक मदुरै शहर पर शासन किया। उसके बाद, दोनों ने देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर का रूप धारण किया और मदुरै मीनाक्षी अम्मन मंदिर की राजसी देवी बन गईं।

देवराज इंद्र जिन्हें देवताओं का राजा माना जाता है और जो स्वर्ग में रहते हैं, उन्होंने कदंब वनम में पवित्र सुयंबुलिंगम की खोज की थी। भगवान शिव के लिंगम को खोजने के बाद, उन्होंने इसे मदुरै में स्थापित किया था जहाँ मंदिर बना हुआ है। भक्त देख सकते हैं कि इस मंदिर में भगवान इंद्र के वाहन पर सवार हैं, जो एक तरह से इस कथा को सत्यापित करता है।

3.लोकप्रिय त्यौहार और उत्सव 

मीनाक्षी मंदिर के बारे में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण और रोचक है। मीनाक्षी मंदिर मदुरै, तमिलनाडु में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो माँ मीनाक्षी देवी को समर्पित है। मंदिर में विभिन्न उत्सव और त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख उत्सवों के नाम हैं:

अवनिमूल उत्सव
मासी मंडला उत्सव
चित्रा उत्सव
नवरात्रि सांस्कृतिक उत्सव
फ्लोट उत्सव

इन उत्सवों के दौरान हज़ारों भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं और माँ मीनाक्षी देवी की पूजा करते हैं। यह उत्सव मंदिर की महत्व और भक्तों के उत्साह को दर्शाते हैं।

मीनाक्षी मंदिर में विभिन्न उत्सव और त्यौहार मनाए जाते हैं, जो मंदिर की महत्ता और भक्तों के उत्साह को दर्शाते हैं। यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है, और यहां के उत्सव और त्यौहार भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।

4.श्री मीनाक्षी और सुंदरेश्वर मंदिर, मदुरै की वास्तुकला

श्री मीनाक्षी और सुंदरेश्वर मंदिर, मदुरै की वास्तुकला


यह मंदिर एक विशाल क्षेत्र में बना है, जिसमें पाँच अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं। मंदिर में चौदह राजसी मीनारें हैं, जिनमें से चार नौ स्तर के हैं, जबकि एक सात स्तर का गोपुरम भी है। इसके अलावा, पाँच स्तर के गोपुरम पाँच हैं, दो तीन स्तर के गोपुरम और दो स्वर्ण गोपुरम हैं। सभी गोपुरम पर जटिल नक्काशी के साथ एक बेहतरीन मूर्तिकला प्रदर्शित की गई है, जो मीनाक्षी मंदिर की भव्यता को बढ़ाती है।

मीनाक्षी मंदिर की वास्तुकला में प्रत्येक बदलते राजवंश से योगदान मिला है, जिसने इसकी विशेषता को और भी समृद्ध बनाया है। मंदिर की दीवारों पर जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं, जो इसकी सुंदरता को बढ़ाती हैं।

मीनाक्षी मंदिर की वास्तुकला की कुछ विशेषताएं हैं:

चौदह राजसी मीनारें
पाँच अलग-अलग प्रवेश द्वार
जटिल नक्काशी और मूर्तियां
स्वर्ण गोपुरम
विशाल क्षेत्र में निर्मित

इन विशेषताओं के साथ, मीनाक्षी मंदिर एक विशाल और सुंदर मंदिर है, जो अपनी वास्तुकला और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

5.मंडपम

मंडपम

मीनाक्षी मंदिर के बारे में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण और रोचक है। मीनाक्षी मंदिर में कई आकर्षक भाग हैं, जिनमें से एक अष्ट शक्ति मंडपम है। इस मंडपम हॉल का निर्माण थिरुमलाई नायकर की पत्नियों ने करवाया था और इसका उपयोग भक्तों को भंडारे और प्रसाद परोसने के लिए किया जाता था । मंडपम की दीवारों और स्तंभों पर भगवान शिव के जीवन और देवी मीनाक्षी के जीवन के विभिन्न चरणों की कहानियाँ उकेरी गई हैं।

इसके अलावा, मंदिर के स्वर्ण कमल टैंक के बारे में कहा जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान इंद्र द्वारा की गई पूजा के लिए एक स्वर्ण कमल खिलता था। मीनाक्षी मंदिर में एक भव्य कलात्मक संग्रहालय भी है। मंदिर का भव्य 1000 स्तंभों वाला हॉल 1966 से संग्रहालय के रूप में काम कर रहा है। इसमें कलात्मक और सांस्कृतिक महत्व का एक बड़ा संग्रह है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ अद्भुत शांति का अनुभव होता है और समय सम्मय कब बिट जाता है पता भी नहीं चलता , यहाँ प्रदर्शित की गई सुंदरता और उत्कृष्टता को निहारना चाहिए।

संग्रहालय में प्रदर्शित कुछ वस्तुओं में विभिन्न दुर्लभ तस्वीरें, पाँच धातुओं से बनी प्राचीन मूर्तियाँ, प्राचीन सिक्के, नक्काशीदार दाँत, शैव और वैष्णव धर्म से संबंधित प्राचीन वस्तुएँ आदि शामिल हैं। यह संग्रहालय मीनाक्षी मंदिर की सांस्कृतिक और कलात्मक महत्व को दर्शाता है।

6.संग्रहालय

संग्रहालय

मीनाक्षी मंदिर के बारे में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण और रोचक है। मीनाक्षी मंदिर में एक भव्य कलात्मक संग्रहालय है, जो 1966 से संग्रहालय के रूप में काम कर रहा है। इसमें कलात्मक और सांस्कृतिक महत्व का एक बड़ा संग्रह है, जो विभिन्न दुर्लभ तस्वीरें, प्राचीन मूर्तियाँ, प्राचीन सिक्के, नक्काशीदार दाँत, शैव और वैष्णव धर्म से संबंधित प्राचीन वस्तुएँ आदि शामिल हैं।

मीनाक्षी मंदिर में रखी कई पेंटिंग समय के साथ खराब हो गई थीं, लेकिन अब उन्हें विभिन्न प्राकृतिक रंगों की मदद से पुनर्निर्मित किया गया है, जो पहले से भी बेहतर हो चुकी हैं। ये पेंटिंग नाइक शासनकाल की हैं और भगवान शिव के विभिन्न चमत्कारों को दर्शाती हैं। मंदिर की उत्तरी दीवार पर भी पेंटिंग हैं जो स्वर्ण कमल के तालाब के पोट्टामारई कुलम का सामना करती हैं।

इसके अलावा, मीनाक्षी मंदिर की एक और खासियत है पत्थर पर लिखे शिलालेख, जो सुंदरेश्वर और मीनाक्षी अम्मा मंदिर की दीवारों पर देखे जा सकते हैं। इन शिलालेखों में प्राचीन काल के प्रार्थना, अनुष्ठान, धार्मिक इतिहास और सामाजिक इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी है।

मंदिर का हर हिस्सा मंत्रमुग्ध कर देने वाली शिल्पकला का नमूना है, जो इसकी भव्य संरचना, आकर्षक मूर्तियां, चित्र, पेंटिंग और धार्मिक पवित्रता की शांति को दर्शाता है। यह मंदिर हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देता है और इसकी यात्रा हर मदुरै यात्रा को यादगार बना देती है।

7.मीनाक्षी मंदिर तक कैसे पोहचे ?

प्लेन के ज़रिए:

आप Minakshi Temple प्लेन से भी आ सकते है , मीनाक्षी मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा मदुरै है। जहाँ से आपको मीनाक्षी मंदिर जाने के टैक्सी या और भी परिवहन ले सकते हो।

रेल्वे मार्ग:

आप Minakshi Temple रेल्वे  से भी आ सकते है ,मीनाक्षी मंदिर का नजदीकी  मदुरै रेलवे स्टेशन   है। मदुरै के लिए आपको भारत के बहुत सरे शहरोसे  सीधी  मिल सकती है।   जो मीनाक्षी मंदिर से सिर्फ 1 किलोमीटर  की दूरी  पर है।   यहाँ से आप मीनाक्षी माता और महादेव के नारे लगते हुए पैदल भी जा सकते है। जहाँ से आपको मीनाक्षी मंदिर जाने के टैक्सी  या  और भी परिवहन ले सकते हो।

सड़क मार्ग:
सड़क मार्ग:

आप Minakshi Temple सड़क मार्ग से भी आ सकते है , मीनाक्षी मंदिर का नजदीकी  मदुरै बस स्टैंड    है। मदुरै के लिए आपको भारत के बहुत सरे शहरोसे  सीधी बस मिल सकती है।   जो मीनाक्षी मंदिर से सिर्फ 1 किलोमीटर  की दूरी  पर है।   यहाँ से आप मीनाक्षी माता और महादेव दिखाई भी देता है । जहाँ से आपको मीनाक्षी मंदिर जाने के टैक्सी  या  और भी परिवहन ले सकते हो।

मंदिर दर्शन का समय:

सुबह 4:30  से  12:00 

साय  4:00  से  9:00

 

Spread the love

Leave a Comment