भारत में 5 स्थान जहां होती है रावण की पूजा

त्रेता युग के सबसे बड़े खलनायक दानव राज दशानंद रावन जिसे बुराई,अधर्म,अनीति और अन्याय का प्रतिक माना जाता है। फिर भी भारत में रावण के कुछ मंदिर है। भारत में 5 स्थान जहां रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है।

सबके दो पहलू होते है। हर जिव,वस्तु, इंसान किसी के लिया अच्छे होते है तो किसी के लिए बुरे। कुछ लोग रावण को अहंकारी,घमंडी,अन्यायी,अधर्मी और क्रूर मानते है। तो कुछ लोग रावण को भगवान सामान आदर प्रदान करते है। रावण को परम ज्ञानी,4 वेदो का ज्ञाता,परम भक्त,पराक्रमी योद्धा और आदर्श राजा भी मानते है।

श्री रामजी की धरती भारत में आज भी कुछ जगह पर दशानंद रावण की पूजा की जाती है। ग्रंथ और पुराणों की मने तो रावण एक प्रकांड पंडित था। रावण को कई सारी विद्या भी आती थी।

रावण शस्त्र और शास्त्र दोनों में ही निपुण थे। रावण जन्म से ब्राम्हण और कर्म से राक्षस थे। इस लिए रावण को दोनो एम आदरनी स्थान प्राप्त है। रावण एक महान शिव भक्त भी थे।

भारत में 5 स्थान जहां होती है रावण की पूजा

Location
1.Noida, Bisrakh (ग्रेटर)
2.Andhra Pradesh, Kakinada
3.Jodhpur, Mandore
4.Madhya Pradesh, Vidisha
5.Noida, Mandsaur
Ravan Temples
भारत में 5 स्थान जहां होती है रावण की पूजा

1.बिसरख रावण मंदिर

बिसरख रावण मंदिर

महान ऋषि विश्रवा और राक्षस कन्या कैकसी के मिलन से एक अत्यंत शक्ति शाली पुत्र का जन्म हुवा। ऋषि विश्रवा बिसरख नाम के गांव में निवास करते थे,जो की आज भी उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नेावेडा के समीप पड़ता है। ऋषि विश्रवा हमेशा शिवजी के सेवा में रहते थे। ऋषि विश्रवा अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना करके उनसे पुत्र प्राप्ति के लिए अनुरोध किया था। महादेव के आशीर्वाद से ही रावण का जन्म हुवा था। बड़े होकर रावण भी महादेव के एक महान भक्त बने।

भारत के बिसरख गांव में इसलिए रावण को पूजा जाता है।और दशरें पर बिसरख में कभी भी रावण को दहन नहीं किया जाता बल्कि उस दिन उसकी पूजा करते है।और रावण की मौत पर यहाँ मातम का मोहोल होता है।कई लोगो का मानना है की,जब भी पहले रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित होता था। तो इस गांव में रहस्यमई तरीके से लोगो की मौत का सील सिला शुरू हो जाता था। और ये सील सिला तब ही ख़त्म होता था,जब को रावण की पूजा करता था।

इस लिए यहाँ लोग रावण की पूजा करते है और कभी भी रावण का पुतला भी नहीं जलाते। बल्कि उसे सजा कर तैयार करते है और सैम को उसके लिए रोते और मातम मानते है। यहाँ बड़े बड़े तांत्रिक पूजा साधना भी करने आते है।

2.बिसरख का रावण मंदिर कैसे पहुंचे ?

बिसरख तक ३ मार्ग से बड़ी आराम के सात पहुंच सकते है।

हवाई मार्ग:

बिसरख के सबसे करीबी हवाई अड्डा ग्रेटर नोएडा इंटरनेशनल हवाई अड्डा है। जो की रावण मंदिर के 12 किलों मीटर की दूरी पर है। यहाँ से आप टेक्सी या कैप से मंदिर के लिए जा सकते हो।

रेल्वे मार्ग:

बिसरख के सबसे करीबी रेल्वे स्टेशन नोएडा जंक्शन है। जो की रावण मंदिर के 15 किलों मीटर की दूरी पर है। यहाँ से आप टेक्सी या ऑटो से मंदिर के लिए जा सकते हो।

सड़क मार्ग:

बिसरख के सबसे करीबी बस स्टेशन नोएडा नई बस स्टॉप है। जो की रावण मंदिर के 14 किलों मीटर की दूरी पर है। यहाँ से आप टेक्सी या ऑटो, या सीदी उप परिवाहन की बस से मंदिर के लिए जा सकते हो। और अगर आप अपनी व्यक्तिगत वहां से यहाँ आना कहते हो तो आप को यहाँ सच्ची सड़क और ठीक ठाक  वातावरण की अनुभूति होगी।

2.रावणासुर मंदिर काकीनाडा (आंध्रा प्रदेश )

रावणासुर मंदिर काकीनाडा

रावण भगवान शिव के सबसे बड़े भक्तो में से एक थे। रावण की ये अटूट भक्ति की दर्शाता है रावणासुर मंदिर। इस मंदिर की सबसे खास बात ये हे की इसका निर्माण स्वयं रावण ने किया था। रावण यहाँ हमेशा पूजा पाठ करता। इस मंदिर में पहले सिर्फ भगवान शिव का शिव लिंग था,लेकिन समय के सात लोगो की आस्था रावण की भक्ति के प्रति बढ़ती गई।

लोगो ने भगवान शिव के शिवलिंग के पास ही रावण की भी एक प्रतिमा बनवाली। जिससे अब लोग रावण को(भारत में 5 स्थान जहां होती है (रावण की पूजा) भी पूजते है। रावणासुर मंदिर में आने वाले हर भक्त को भगवान शिव की पूजा के बाद रावण की पूजा करनी होती है, तभी उनकी पूजा सफल होती है।रावणासुर मंदिर काकीनाडा आंध्रा प्रदेश.

रावण भगवान शिव के सबसे बड़े भक्तो में से एक थे। रावण की ये अटूट भक्ति की दर्शाता है रावणासुर मंदिर। इस मंदिर की सबसे खास बात ये हे की इसका निर्माण स्वयं रावण ने किया था। रावण यहाँ हमेशा पूजा पाठ करता। इस मंदिर में पहले सिर्फ भगवान शिव का शिव लिंग था,लेकिन समय के सात लोगो की आस्था रावण की भक्ति के प्रति बढ़ती गई।

काकीनाडा कैसे पहुंचे ?

हवाई मार्ग:भारत में 5 स्थान जहां होती है

काकीनाडा के सबसे निकटतम हवाई अड्डा राजमुंदरी हवाई अड्डा है। यह काकीनाडा से लगभग 50 किमी दूर है। काकीनाडा पहुँचने के लिए आपको टैक्सी और ऑटो मिल जाते हैं।

रेल्वे मार्ग:

काकीनाडा रेलवे स्टेशन निकटतम घरेलू रेलवे स्टेशन है। यह मंदिर से लगभग 5 किमी दूर है। मंदिर तक पहुँचने के लिए सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध हैं। रेल्वे स्टेशन के पास से आपको टैक्सी और ऑटो मिल जाते हैं।

सड़क मार्ग:

काकीनाडा शहर सड़क मार्ग से देश के अन्य शहरों से बहुत अच्छे से जुड़ा हुवा है। यहाँ आप व्यक्तिगत वाहान से भी आ सकते है। और आप यहाँ आंध्रा प्रदेश परिवहन के द्वारा भी आ सकते हो।

3.मंडोर रावण मंदिर,जोधपुर

मंडोर रावण मंदिर,जोधपुर

मंडोर में रावण का एक ऐसा मंदिर है जहा आज भी लोग खुद को रावण वंशज बताते है। मंडोर जोधपुर के पास स्थित राजस्थान की एक जगह है। जब दशहरे के दिन जब पूरा देश खुशिया मन रहा होता है। तब मंडोर में मातम का माहौल छाया होता है। क्योकि यहाँ के कुछ लोग जो की रावण के पीठि के वंशज है। और यहां भक्त रावण की पूजा भी करते हैं

मंडोर के इस मंदिर में रावण और मायासुर की पुत्री मंदोदरी का विवाह हुआ था। यहाँ आज भी मंडोर  में वह स्थान है जहा रावण और मंदोदरी के फेरे हुआ थे और शादी हुई थी।

मंडोर के इस स्थान पर रावण की काफी सारी मुर्तिया है। इस जगह पर नियमित रूप से यहाँ के पंडित जो की रावण के ही वंश के है। वह रावण की पूजा साधना करते है।

मंडोर रावण मंदिर कैसे पोहचे।

हवाई मार्ग:

मंडोर आने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा है। जोधपुर हवाई अड्डा राजस्थान के प्रमुख हवाई अड्डा में से एक है और यहाँ भारत के

छोटे-बड़े शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। जोधपुर हवाई अड्डे से मंडोर के लिए आपको टेक्सी या ऑटो मिल जाएगी।  

रेल्वे मार्ग:

मंडोर का सबसे पास वाला रेल्वे स्टेशन जोधपुर रेल्वे स्टेशन है। जोधपुर रेल्वे स्टेशन भारत और राजस्थान के अन्य छोटे-बड़े स्टेशन से जोड़ा हुवा है। जोधपुर रेल्वे स्टेशन से मंडोर के लिए आपको सिटी बस या ऑटो मिल जाएगी।

सड़क मार्ग:

मंडोर (जोधपुर) शहर सड़क मार्ग से देश के अन्य शहरों से बहुत अच्छे से जुड़ा हुवा है। यहाँ आप व्यक्तिगत वाहान से भी आ सकते है। और आप यहाँ राजस्थान परिवहन के द्वारा भी आ सकते हो।  

4.रावण बाबा मंदिर,विदिशा

रावण बाबा मंदिर,विदिशा

रावण को दिया जाता है पहला शादी निमंत्रण। जी है वाचक मित्रो भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहाँ के गांव वाले आपने घरो में हो रही शादी का पहला निमंत्रण रावण बाबा को देते है। मध्य प्रदेश के विदिशा में आज भी रावण का एक मंदिर है। इस गांव में  प्रति दिन होती रावण की पूजा. लोग रावण को देवता सामान पूजते है।

रावण की पूजा के बाद गांव में जब भी कोई शुभ प्रसंग हो। तो उसका सबसे पहले रावण बाबा से अनुमति लेनी पड़ती है। हर शुभ कार्य में पहला निमंत्रण रावण बाबा तक पोहचए जाता है।

आज भी शादी शुदा महिलाये मंदिर में घुंगट ओढ़ के जाती है। और फिर रावण बाबा की (रावण की पूजा) के बाद गांव में जब भी कोई शुभ प्रसंग हो। तो उसका सबसे पहले रावण बाबा से अनुमति लेनी पड़ती है। हर शुभ कार्य में पहला निमंत्रण रावण बाबा तक पोहचए जाता है।पूजा कराती है। हर साल जब दशेहरा जब पूरा देश रावण दहन की खुशिया मनाता है। वही विदिशा में उस दिन शौक का मोहोल होता है। विदिशा में कभी रावण दहन नहीं किया जाता।

विदिशा रावण मंदिर:

हवाई मार्ग:

विदिशा मध्य प्रदेश की  राजधानी भोपाल के बहुत पास है, विदिशा का खुदका कोई हवाई अड्डा नहीं है। विदिशा का  भोपाल (65 किलोमीटर) निकटतम हवाई अड्डा है,जो दिल्ली, मुंबई,अमदाबाद,हैदराबाद और उदयपुर से जुड़ा हुआ है। टैक्सी या मध्य प्रदेश परिवहन की बस में भोपाल से विदिशा पहुंचने में लगभग 2 घंटे लगते हैं।

रेल्वे मार्ग:

विदिशा रावण मंदिर जाने के लिए विदिशा रेलवे स्टेशन आना पड़ता है। विदिशा रेलवे स्टेशन का मुख्य रेलवे ट्रैक दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से हैदराबाद पर स्थित है। अप और डाउन ट्रेन विदिशा से गुजरती है। और भी छोटे-बड़े  रेल्वे स्टेशन से ये विदिशा रेलवे स्टेशन अचे से जुड़ा हुआ है। विदिशा रेलवे स्टेशन से रावण बाबा मंदिर के लिए टेक्सी और ऑटो मि जाता है।

सड़क मार्ग:

 विदिशा शहर सड़क मार्ग से देश के अन्य शहरों से बहुत अच्छे से जुड़ा हुवा है। यहाँ आप व्यक्तिगत वाहान से भी आ सकते है।  और आप यहाँ मध्य प्रदेश के द्वारा भी आ सकते हो।

5.मंदसौर रावण मंदिर

मंदसौर रावण मंदिर

मंदसौर के रावण मंदिर में रावण के नाम से धागा बाँदने से भक्तों की हर बीमारी और परेशानी दूर हो जाती है। यहाँ रावण बाबा चमत्कार करके अपने भक्तो के दुख हर लेते है। मंदसौर रावण मंदिर में रावण को अपना भगवान समाजते हे।

मंदसौर शहर का नाम रावण की अर्धांगिनी मंदोदरी के नाम पर से पड़ा है। मंदसौर शहर से राजा मंदोदरी के पिता थे।और इस किये मंदसौर के लोग रावण को मंदसौर जमाई बताते है। इस आज भी रावण की पूजा रोज की जाती है। जब दशहरे पर भारत भर में रावण का पुतला दहन किया जाता है। उस दिन इस क्षेत्र में मातम मनाया जाता है।

मंदिर में इन दिन महिलाये भी शोक मानती है और परंपरी तरीके से रोती है। साधारण मान्यता हे की, रावण के 10 सर होते है। इस लिए यहाँ भी रावण के प्रतिमा के 10 सर है। पर खास बात यह है,की इस प्रतिमा में प्रमुख सर पर एक गधे का सर है। यह सर प्रतिक है,रावण की बुद्धि भ्रष्ट का।

मंदसौर कैसे पोहचे ?

हवाई मार्ग:

मंदसौर में वर्तमान मे कोई हवाई अड्डा नहीं है | मंदसौर का नज़दीकी की हवाई अड्डा में इंदौर है| इंदौर हवाई अड्डा 215 कि॰मी.की दूरी पर स्थित है | यहाँ से मंदिर तक आप कैप या मध्य प्रदेश परिवहन की बस की मदत से पोहच सकते है।

रेल्वे मार्ग:

मंदसौर के दो नजदीकी रेल्वे जंक्शन है 1.रतलाम और 2.शामगढ़ में स्थित है जहां लगभग सभी लंबी दूरियों की रेलगाड़ियाँ रुकती है| यहाँ से मंदिर तक टेक्सी के मध्याम से जा सकते हो।

रेल्वे मार्ग:

मंदसौर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है | यहाँ आप अपनी व्यक्तिगत वाहान से आ सकते है। मंदसौर के लिया आपको मध्य प्रदेश परिवहन राजस्थान परिवहन की बस आसानी से उपलब्ध है।

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