अजंता की गुफाएं: भारतीय कला और वास्तुकला की अनुपम धरोहर

1.अजंता की गुफाओ की जानकारी

अजंता की गुफाओ की जानकारी

अंजता की गुफाएं विश्व की सबसे खुबसुरत और आकर्षक गुफाएं है। अंजता की गुफाएं वागोर नदी के किनारे बनी है।अजंता की गुफाओ को उपर से देखने पर लगता है की, ये किसी घोड़े की नाल के आकर की चट्टान को काट कर बनाया गया है।अजंता की गुफाएं 29 गुफा ओका समूह है, जिसमे सब एक से बड़के एक है। अजंटा की गुफाये बौद्ध धर्म कलाकृति का बेजोड़ नमूना है। यूनिस्को द्वारा अजंता की गुफाओं को विश्व धरोहर मै स्थान प्राप्त कर लिया है। भारत के लिए ये बहुत सन्मान की बात है। अगर आपको भी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जगह और चीज़े शौक़ीन है, तो आपके आश्चर्य और रहस्य के लिए ये एक अद्भुत सफर रहेगा।

2.अजंता की गुफाओ की  खोज

अजंता की गुफाओ की  खोज

अजंता की गुफाओ की खोज 1819 में एक अंग्रेज अधिकारी द्वारा की गई थी। जब मद्रास रेजिमेंट की एक टुकड़ी यहाँ से आई थी जब उस टुकड़ी के एक अधिकारी की नज़र इन गुफाओ पड़ी थी। उस अंग्रेज अधिकारी का नाम था कैप्टेन जॉन स्मिथ। ना जाने कितने सालो से अजंता की ये गुफाये गुमनामी ने अंधेरे मे थे। जब कैप्टेन जॉन स्मिथ ने बाहरी दुनिया को इस गुफाओ के बारे में बताया तब लोगोको पता चला ली। अंजता की गुफाएं हम दुनिया की सबसे खूबसूरत गुफाओ से वंचित थे।

3.क्या है इन गुफाओ में ?

क्या है इन गुफाओ में ?

अजंता की गुफाओ में बौद्ध धर्म संबंधित कुछ उत्कृष्ट शिल्पकारी और चित्रकारी देखने मिलती है। जो की बहुत अद्धभुत और आश्चर्य जनक लगती है। इन कलाकृति को सजीव चित्रण भी कहा जाता है। ऐसे सजीव चित्रण आपको कही और देखने नहीं मिल सकते.अजंता की गुफाओ का महत्त्व सिर्फ बुद्ध धर्म नहीं हे बल्कि हिन्दू, जैन आदि धर्मो में भी है।अजंता की गुफाओ का निर्माण एक हिन्दू राजा वाकाटक सम्राट हरीसेन के शासन काल में हुवा था। जो की हिन्दू ब्रामण समुदाय से थे। आज के समय अजंता की गुफओंए विश्व भर में खुद के नाम का डंका बजाय है। अजंता की गुफाओ को 1983 में ही यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया था। अजंता की गुफाओ ने भारत का गौरव विश्व स्थर पर बढ़ाया है।

4.अजंता की गुफाएं  कहा है?

अजंता की गुफाएं  कहा है?

अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र राज्य के संभाजी नगर जिल्हे में स्थित है। अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सिमा के करीब है। अजंता की गुफाओ तक आने के लिए आपको संभाजी नगर या जलगाव आना पड़ता है। ये दोनों शहर सारे मार्गो से अच्छी जुड़े हुए है।

5.इस गुफा में क्या है खास  ?

इस गुफा में क्या है खास  

अजंता की गुफाओ में आपको अद्भुत और अद्रुतिय कला कृतिओ के सात ही हमारी संस्कृति की झलक भी देखने मिलती है। अजंता की गुफाओ में भगवान बुद्ध के सरल और गुणवान चरित्र को बहुत बारीकी से दर्शाया गया है। अजंता की गुफाओ में पर्यटकों को अज्ञात शांति और बहुत अधिक सकरात्मत ऊर्जा का अनुभव होता है।

6.अजंता की गुफा का खुलने का समय

अजंता की गुफा का खुलने का समय

आपको भी अंजता की गुफाएं अपनी और आकर्षित कर रही हो, तो आप भी यहाँ आ सकते हो। आपको अजंता की गुफाओ का खुलने तथा बंद होने का समय बता होना चाइये। अजंता की गुफाये सुबह 9 बजे पर्यटकों के लिए खुल जाती है।और शाम को 5 बजे यहाँ गुफाये बंद हो जाती है।अजंता की गुफाये हर सोमवार को बंद रहती है।

7.अजंता की गुफा का प्रवेश शुल्क

अजंता की गुफा का प्रवेश शुल्क

अजंता की गुफाएं पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। यहाँ रोज हजारो से लाखो पर्यटक आते है। देश के आर्थिक विकास के लिये अजंता की गुफाओ का एक अलग महत्त्व है। क्यों की यहाँ भारत सरकार द्वारा टिकट की सेवा प्रदान की जाती है।जिसकी रकम सीदी भारत तथा महाराष्ट सरकार के मुद्रा भंडार में जमा हो जाती है। जिस से हमारे आर्थिक स्थिति और मजबूत बनती है।

यहाँ आने वाले पर्यटक अंदर जाने के लिए धन राशि देनी होती है। अजंता की गुफाओ को देखने के लिया भारतीय नागरिक को 10 रुपये का शुल्क देना पड़ता है। अगर आप भारत के आलावा किसी भी देश की नागरिकता द्धारण करते हो, तो आपको यहाँ 250 रुपये का प्रवेश शुल्क भरना पड़ेगा। यह चीज़ बहुत अच्छी है इससे हमारे देश का पर्यटक संख्या में इज़ाफ़ा होता है,और देश की आर्थिक मदत भी होती है।

अजंता की गुफाओ में आप कैमरा का उपयोग भी कर सकते हो, लेकिन उसके लिए आपको अलग से भुक्तं करना पड़ेगा। कैमरे को सातमे रखने के लिए आपको सिर्फ 25 रुपये का शुल्क रहेगा। अजंता की गुफाओ में 15 वर्ष से कम आयु के बच्चो के लिए प्रवेश निःशुल्क है।

8.अजंता की गुफाओ तक कैसे पोंहचे ?

अजंता की गुफाओ तक कैसे पोंहचे ?

महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद (संभाजी नगर ) जिला में स्थित अजंता की गुफाएं औरंगाबाद (संभाजी नगर ) से तकरीबन 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । अजंता की गुफाओ तक जाने के  लिया आप सड़क , रेल्वे , और फ्लाइट से भी जा सकते हो। अगर आप यहां पर हवाई जहाज के माध्यम से पहुंचने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको बता दें कि इस अजंता की गुफा के नजदीकी मुख्य हवाई अड्डा औरंगाबाद (संभाजी नगर ) में स्थित है। और औरंगाबाद (संभाजी नगर ) हवाई अड्डा भारत के अन्य बड़े  हवाई अड्डे जैसे की मुंबई , दिल्ली , चेन्नई , कोलकाता ,अमदाबाद से सीदे  जुड़े हुए है।

अजंता की गुफाओ का नजदीकी रेलवे स्टेशन औरंगाबाद या जलगांव है।  जलगाव  से अजंता की गुफाओ की दूरी सिर्फ 60 किलोमीटर है। और औरंगाबाद (संभाजी नगर) से अजंता की गुफाओ की दूरी सिर्फ 100 किलोमीटर है। आप अपने यहां से इन रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डा पर पहुंचने के उपरांत यहां पर चलने वाले स्थानीय परिवहन की मदद लेकर अजंता की गुफाओ को आसानी से पोहच सकते हैं।

सड़क मार्ग से आने की बात है, तो यह अजंता की गुफाएं औरंगाबाद और जलगांव से सड़क मार्ग के माध्यम द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. इस तरह आप अजंता की गुफाओ तक आसानी से पोहच  सकते हैं। 

9.अजंता की गुफाओकी विशेषता और इतिहास

अजंता की गुफाएं लगभग 25 बौद्ध मठ और 5 प्रार्थना भवन है। साथ ही अजंता की गुफाओं में 200 ईसा पूर्व से 650 ईसापूर्व तक बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। इन गुफाओं में हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म तीनों का प्रभाव देखने को मिलता है। इन गुफाओं में 350 ईसा पूर्व से लेकर 700 ईसा पूर्व तक की कलाकृति मौजूद हैं।

अजंता की गुफाएं जातक कथाओं के जरिए भगवान बुद्ध के जीवन को दर्शाती है। माना जाता है कि अजंता की गुफाओं (Ajanta Caves Built By) को सातवाहन काल और वाकाटक काल, दो अलग-अलग कालों में बनाया गया है। इस गुफाओं की ऊंचाई 76 मीटर तक है। इन गुफाओं को प्रमुख वाकाटक राजा हरिसेन के संरक्षण में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा ही बनाया गया था। इतना ही नहीं, यहां चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल के दौरान भारत आए चीनी बौद्ध यात्री फाहियान और सम्राट हर्षवर्धन के दौर में आए ह्वेन त्सांग की जानकारी भी पाई जाती है।

हां छवियों को बनाने के लिए ‘फ्रेस्को’ और ‘टेम्पेरा, दोनों विधियों का इस्तेमाल किया गया है। इन तस्वीरों को बनाने से पहले दीवारों को रगड़कर साफ किया जाता था, फिर चावल के मांड, गोंद, पत्तियों और कुछ अन्य रासायनों का लेप चढ़ाया जाता था। सदियों बाद भी इन चित्रों की चमक पहले जैसी बनी हुई है।

10.बुद्ध और अजंता की गुफाओ का सबंध

अजंता की गुफाएं के चित्र तकनीकि दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान रखते हैं। इन गुफाओं में अनेक प्रकार के फूल-पत्तियों, वृक्षों एवं पशु आकृति से सजावट का काम तथा बुद्ध एवं बोधिसत्त्व की प्रतिमाओं के चित्रण का काम, जातक कथा से ली गई कहानियों का वर्णनात्मक दृश्य के रूप में प्रयोग हुआ है। ये चित्र अधिकतर जातक कथाओं को दर्शाते हैं। इन चित्रों में कहीं-कही गैर भारतीय मूल के मानव चरित्र भी दर्शाये गये हैं। अजन्ता की चित्रकला की एक विशेषता यह है कि इन चित्रों में दृश्यों को अलग अलग विन्यास में नहीं विभाजित किया गया है।

अजंता की गुफाएं में ‘फ़्रेस्को’ तथा ‘टेम्पेरा’ दोनों ही विधियों से चित्र बनाये गए हैं। चित्र बनाने से पूर्व दीवार को भली भांति रगड़कर साफ़ किया जाता था तथा फिर उसके ऊपर लेप चढ़ाया जाता था। 

इन गुफाओं में चैत्‍य कक्ष या मठ है, जो भगवान बुद्ध और विहार को समर्पित हैं, जिनका उपयोग बौद्ध भिक्षुओं द्वारा ध्‍यान लगाने और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का अध्‍ययन करने के लिए किया जाता था। गुफाओं की दीवारों तथा छतों पर बनाई गई ये तस्‍वीरें भगवान बुद्ध के जीवन की विभिन्‍न घटनाओं और विभिन्‍न बौद्ध देवत्‍व की घटनाओं का चित्रण करती हैं। इसमें से सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण चित्रों में जातक कथा हैं, जो बोधिसत्त्व के रूप में बुद्ध के पिछले जन्‍म से संबंधित विविध कहानियों का चित्रण करते हैं, ये एक संत थे जिन्‍हें बुद्ध बनने की नियति प्राप्‍त थी। ये शिल्‍पकलाओं और तस्‍वीरों को प्रभावशाली रूप में प्रस्‍तुत करती हैं जबकि ये समय के असर से मुक्‍त है। ये सुंदर छवियां और तस्‍वीरें बुद्ध को शांत और पवित्र मुद्रा में दर्शाती हैं।

11.अजंता की गुफा की वास्तुकला

अजंता की गुफा की वास्तुकला

अजंता की गुफाओं में अलग-अलग वास्तुकलाओं का मिश्रण है। यहाँ के प्रवेश द्वार में ही भगवान बुद्ध की एक विशाल पत्थर को काटकर नक्काशी की गई प्रतिमा देखने को मिलेगी। इसके साथ ही भगवान बुद्ध की पेंटिंग भी देखने को मिलेंगी, कई सारी राजकुमारियों एवं अप्सराओं की अलग-अलग स्थितियों में पेंटिंग और चित्र कार्य देखने को मिलेंगे।

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