हरिश्चंद्रगढ़ किला का ट्रेक, खासियत और सम्पूर्ण जानकारी

हरिश्चंद्रगढ़ किला ट्रेक महाराष्ट्र का रोमांच और चुनौतिओं से भरा और कुदरत के खूबसूरती से सजा एक बेमिसाल ट्रेक है। हरिश्चंद्रगढ़ किला टूरिस्ट और ट्रैकर्स का आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

हरिश्चंद्रगढ़ किला की खूबसूरती और प्राकृतिक सौंदर्य देखने के लिए देश – विदेश से पर्यटक और ट्रैकर यहां पर आते हैं। यहाँ के नाइट कैंपिंग, सनराइज , सनसेट , प्राकृतिक नज़ारे और चुनौती वाला ट्रेक बहुत प्रसिद्ध है।

हरिशचंद्रगड़ किला भौगोलिक और ऐतिहासिक दोनों दृश्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण क्योंकि बताया जाता है मत्स्य पुराण और अग्नि पुराण में भी हरिशचंद्रगड़ किला का उल्लेख किया गया है। हरिशचंद्रगड़ किला इतिहास साढ़े तीन हजार साल पुराना बताया जाता है।

हरिश्चंद्रगढ़ किला कहा है ?

हरिश्चंद्रगढ़ किला

हरिश्चंद्रगढ़ किला महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले में मालशेज घाट के पास 6 किलोमीटर , नासिक से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है , पुणे से करीब 170 किलोमीटर दूरी पर स्थित है और मुंबई से करीब 220 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। खीरेश्वर और पचनई यहां के प्रमुख है बेस विलेज (नजदीकी गांव ) हैं जहां से हरिशचंद्रगड़ का ट्रैक किया जाता है।

हरिश्चंद्रगढ़ में घूमने के स्थान

केदारेश्वर मंदिर
केदारेश्वर मंदिर एक गुफानुमा मंदिर है। जिसका उल्लेख मत्स्य पुराण और अग्नि पुराण में भी किया गया है। इसमें पानी से घिरा विशाल काय शिव लिंग है। मंदिर के शिवलिंग तक पहुंचना बहुत मुश्किल है , क्योंकि अंदर का पानी हमेशा ठंडा रहेगा। केदारेश्वर मंदिर अपने चार स्तंभों के लिए जाना जाता है। चार स्तंभ चार युगों का प्रतिक करते हैं: सत्य युग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग। तीन लटकते हुए स्तंभ दर्शाते है की 3 युगोंका अंत हो चूका है। अंतिम स्तंभ भी कलियुग के अंत में टूट जायगा।

कोकणकडा

कोकणकडा

कोकणकडा यहां का सबसे प्रसिद्ध आकर्षक स्थल है। जो अपनी भौगोलिक अद्भुत बनावट के लिए जाना जाता है। जाया पर कोई भी हलकी चीज़ निचे फैकने के बाद आपने आप ऊपर आ जाती है। यहां पर सूर्योदय और सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा शायद ही कहीं और देखने को मिलता हो। यहाँ कैंपिंग करना एक मीठे सपने की तरह होता है। यहाँ आपको कैंपिंग का सारा सामान और खाने क सुविधा उपलब्ध होती है।

तारामाची शिखर

तारामाची शिखर

तारामती शिखर हरिश्चंद्रगढ़ किले की सबसे ऊंची चोटी और महाराष्ट्र की चौथी सबसे ऊंची चोटी है। जो की समुद्र सपाटी से ऊंचाई 1429 मीटर है। कोकनकड़ा से तारामती शिखर का करीब 20 मिनिट का खूबसूरत ट्रैकिंग है। इस चोटी पर पहुंचने के बाद आपको स्वर्ग की तरह दीखता है। यहाँ से आपको सहयाद्री की अनेक पर्वत चोटियां दिखाई देती है। जिसमे से मुख्य कलसुबाई, रतनगढ़ और मालशेज घाट के खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं।

हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर
हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर यहाँ का मुख्य मंदीर है। इस मंदिर का निर्माण 9 शताब्दी हुवा था। यहाँ मंदिर सम्पूर्ण काले पत्थर से बनाया गया है। यह मंदिर द्रविड़ शैली में बनाया गया है। यह मंदिर अति प्राचीन श्री केदारेश्वर महादेव मंदिर के बाई ओर स्थित है।

हरिश्चंद्रगढ़ ठंडे पानी का झरना

हरिश्चंद्रगढ़ में ठंडे पानी का झरना एक बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक स्थल है। यह झरना अपनी शीतल और स्वच्छ पानी के लिए प्रसिद्ध है, जो पर्यटकों को बहुत ही आनंदित करता है।

हरिश्चंद्रगढ़ किल्ले पर कैसे जाए

हरिश्चंद्रगढ़ ट्रेक एक ऐसा अनुभव है जो आपको अद्भुत दृश्यों और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराता है। यह ट्रेक उन लोगों के लिए एकदम सही है जो ट्रैकिंग के लिए नए हैं और इस अनुभव को हासिल करना चाहते हैं।

हरिश्चंद्रगढ़ ट्रेक मुंबई ,पुणे, नासिक और अहमदनगर आसानी से पहुँचा जा सकता है, जो इसे एक आदर्श विकल्प बनाता है। ट्रेक करने के कई तरीके हैं, जिनमें से प्रत्येक अपने आप में एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है।

तारामती चोटी के साथ हरिश्चंद्रगढ़ ट्रेक विशेष रूप से विस्मयकारी है, जो आपको प्रचुर वन्य जीवन और लुभावने दृश्यों का अनुभव कराता है। यह ट्रेक आपको प्रकृति के साथ जुड़ने और अपने आप को चुनौती देने का अवसर प्रदान करता है।

हरिश्चंद्रगढ़ आने के लिए सुविधा

हरिश्चंद्रगढ़ पहुंचने के लिए विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

1. वाहन पार्किंग: हरिश्चंद्रगढ़ के तीनों गांवों में वाहन पार्क करने की सुविधा है। यहां कई  जहां आप अपना वाहन पार्क कर सकते हैं और ट्रेक शुरू कर सकते हैं।

2. सड़क मार्ग: मुंबई से कसारा तक लोकल ट्रेन और उसके बाद छोटी टैक्सी की सवारी करके पचनई गांव पहुंचा जा सकता है। पुणे से कार से सीधे पहुंचा जा सकता है।

3. ट्रेन और टैक्सी: मुंबई से हरिश्चंद्रगढ़ तक ट्रेन और लाइन 95411 ट्रेन और टैक्सी से भी पहुंचा जा सकता है। इसमें 2 घंटे 55 मिनट लगते हैं और इसका खर्च ₹3,400 – ₹5,500 है।

इन सुविधाओं के साथ, हरिश्चंद्रगढ़ पहुंचना आसान और सुविधाजनक हो गया है। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं और हरिश्चंद्रगढ़ के खूबसूरत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

हरिश्चंद्रगढ़ किल्ले पर कैंपिंग कहा और कैसे करे

हरिश्चंद्रगढ़ किल्ले पर कैंपिंग करने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

1. अनुमति: किल्ले पर कैंपिंग करने के लिए आपको स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।

2. सुरक्षा: किल्ले पर कैंपिंग करते समय आपको अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना होगा। यहाँ कुछ खतरनाक स्थल हैं, जहाँ पर आपको जाने से बचना चाहिए।

3. साजो-सामान: किल्ले पर कैंपिंग करने के लिए आपको अपने साजो-सामान का प्रबंध करना होगा। यहाँ पर आपको खाना, पानी, और अन्य आवश्यक चीजों की व्यवस्था करनी होगी।

4. मौसम: किल्ले पर कैंपिंग करने के लिए आपको मौसम का ध्यान रखना होगा। यहाँ पर वर्षा के दिनों में कैंपिंग करना खतरनाक हो सकता है।

5. समूह: किल्ले पर कैंपिंग करने के लिए आपको समूह में जाना चाहिए। यहाँ पर आपको एक दूसरे की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा।

इन सुझावों का पालन करके, आप हरिश्चंद्रगढ़ किल्ले पर कैंपिंग कर सकते हैं और इसके खूबसूरत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

हरिश्चंद्रगढ़ किल्ले पर देखने के महत्वपूर्ण दृश्य

हरिश्चंद्रगढ़ किल्ले पर देखने के महत्वपूर्ण दृश्य में शामिल हैं:

1. रोहिदास शिखर: यह किले का एक अन्य शिखर है, जो अपने सुंदर दृश्यों के लिए जाना जाता है।

2. तारामती शिखर: यह किले का सर्वोच्च शिखर है, जो अपने खूबसूरत दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। तारामती शिखर पर से सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत अच्छा दिखाई देता है

3. हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर: यह किले पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो अपने वास्तुकला और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।

4. खिरेश्वर गाव: यह किले के पास स्थित एक गाव है, जो अपने प्राचीन शिवमंदिर के लिए जाना जाता है।

5. नळीची वाट: यह किले पर चढ़ने के लिए एक वाट है, जो अपने खड़े और प्रस्तरारोहण के लिए जानी जाती है।

6. सावर्णे-बेलपाडा-सायले घाटमार्ग: यह किले पर चढ़ने के लिए एक अन्य मार्ग है, जो अपने खड़े और प्रस्तरारोहण के लिए जाना जाता है।

7. कोंकण कड़ा- तारामती शिखर पर से सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत अच्छा दिखाई देता है ।

इन दृश्यों के अलावा, हरिश्चंद्रगढ़ किल्ले पर कई अन्य आकर्षक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों के लिए आकर्षक हो सकते हैं।

बेस विलेज

खीरेश्‍वर गांव : यह रूट ट्रेकरर्स के लिए सबसे पसंदीदा है, क्योंकि यह रास्ता खूबसूरत नजारों से होकर गुजरता है। यह रूट एक मध्यम रूट है,. जिसे पूरा करने में करीब 4 घंटे का समय लगता है। इस रूट से ट्रेकिंग करने के लिए ज्यादा अनुभव की जरूरत नहीं पड़ती है। खीरेश्‍वर गांव में लोकल लोग होमस्टे भी उपलब्ध कराते हैं जरूरत पड़ने पर यहां पर रुक भी सकते हैं।

पचनई गांव: हरिशचंद्रगड़ के लिए पचनई गांव से ट्रेक करना सबसे आसान होता है इस बेस विलेज से शुरुवाती भी आसानी से ट्रेक कर सकते हैं। पचनई गॉंव पहाड़ों के बीच बसा एक खूबसूरत गांव है। लोकल लोग यहां पर भी होमस्टे की सुविधा उपलब्ध करते हैं।

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