हनुमान गढ़ी- अयोध्या के राजा

1.हनुमान गढ़ी मंदिर(अयोध्या)

                                                                                 हनुमान गढ़ी मंदिर(अयोध्या)

हनुमान गढ़ी मंदिर अयोध्या में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो भगवान हनुमान जी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी विशेष महत्त्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण प्रसिद्ध है।

हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने कराया था, और बाद में एक नवाब ने इसका जीर्णोद्धार और विस्तार कराया। मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान राम जी ने हनुमान जी को यह स्थान दिया था और उन्हें यहां रहने की आज्ञा दी थी।

इसके अलावा, मंदिर के बारे में एक और मान्यता है कि भगवान राम जी ने हनुमान जी को यहां का राजा घोषित कर दिया था, और इसलिए उन्हें यहां राजा के रूप में पूजा जाता है। मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति के साथ-साथ भगवान राम जी और अन्य देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

हनुमान गढ़ी मंदिर का महत्त्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी है। यह मंदिर भगवान हनुमान जी की भक्ति और समर्पण का प्रतीक है, और अयोध्या की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

2.कहा और कैसा है हनुमान गढ़ी मंदिर

                                                                              कहा और कैसा है हनुमान गढ़ी मंदिर

यहां मंदिर, अयोध्या में स्थित है, रामलला मंदिर से हनुमान गढ़ी का अंतर 1.5 किमी दूर है। यह मंदिर सरयू नदी के दहिनी बाजु स्थिर है । इस मंदिर में हनुमानजी के दर्शन के लिए हमेशा भिड़ लगी रहती है।    

3.हनुमानजी के दर्शन

                                                                                           हनुमानजी के दर्शन

हनुमान गढ़ी मंदिर के बारे में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण और रोचक है। हनुमान गढ़ी मंदिर की एक विशेष बात यह है कि यहां हनुमान जी के दर्शन के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, लेकिन भक्तों के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं है। मंदिर की दीवारों पर चौपाई और हनुमान चालीसा लिखी हुई है, जो बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायक है।

हनुमान गढ़ी मंदिर का महत्व न केवल हिंदू समुदाय के लिए है, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहां के भक्त हैं। यह मंदिर भारत की एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

हनुमान चालीसा की पहली पंक्ति का जिक्र करना भी बहुत ही प्रेरणादायक है। हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध भजन है, जो भगवान हनुमान जी की महानता और भक्ति को दर्शाता है। यह भजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के कारण भी प्रसिद्ध है।

4.हनुमान गढ़ी की कथा

                                                                                        हनुमान गढ़ी की कथा

आज से 300 साल पहले हनुमान गढ़ी मंदिर की देख रेख श्री स्वामी अभयरामदासी जी करते थे।वाहा के नवाब साहब सिराज उद दौला जो बहुत मशहूर शसक थे। उनके राज कुमार को एक बिमारी ने जकड़ रखा था,  और बहुत वेदो हकीमो को दिखाने ने बाद भी कोई नतिजा नहीं निकल रहा था। सबने कहा कि यह एक ला- इलाज बिमारी है, इसका कोई इलाज नहीं है, और अब राजकुमार का बचना बहुत मुश्किल है।

एक शख्सियत ने नवाब साहब से कहा कि अब उन्हें ऊपरवाले की मदद से ही कुछ उम्मीद मिल सकती है। नवाब साहब एक दिन अवध (अयोध्या) आए थे तो उन्हें किसने हनुमान जी के और हनुमान गढ़ी के चमत्कार के किस्से सुनाए  । नवाब साहब को यकीन नहीं था, पर एक पिता अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकता है। नवाब साहब ने यहां माथा टेका और संकट मोचन हनुमानजी से अपने इस संकट को हरने की गुहार लगाई।

प्रभु हनुमान जी ने नवाब साहब की प्रार्थना सुनली। और राज कुमार को ठीक कर दिया। अब राज राजकुमार के ठीक होते ही नवाब साहब को हनुमान जी की याद आई के कैसे उन्हें प्रार्थना की और हनुमान जी ने उनकी प्रार्थना सुन ली।

अब नवाब की बारी  थी की वह हनुमान जी के लिए कुछ करे।  नवाब ने भी इसे अपनी जिम्मेदारी समज कर मंदिर को और भी बड़ा बनाने की इच्छा  जाहिर की।  लोगो ने उनकी इस फैसले की काफी सराहना की , और खुशी  ख़ुशी नवाब की बात मानी और उनके फैसले को सहमति दी।

इस हनुमान गढ़ी मंदिर को बनाने के लिए नवाब साहब ने खुदकी 52 बिगा जमींन दी और हनुमान गढ़ी का निर्माण का काम शुरू करवाया।  हनुमान गढ़ी मंदिर बनाते वक्त वाहा हमेशा कुछ न कुछ चमत्कार होते रहते थे।  बहुत से लोगोको वहा भगवान हनुमान जी की प्रत्येक्ष दर्शन भी हुए है।  और आज भी बना जाता है की , हनुमान गढ़ी मंदिर में हनुमान जी  स्वयम आते है।  और आपने भक्तो को दर्शन भी देते है। इस बात का हलाकि कोई पुख्ता साबुत नहीं है और वैज्ञानिक इस बात को नकारते है , लेकिन आस्था के आगे विज्ञानं हमेशा से छोटा साबित हुवा है। हनुमान गढ़ी  मंदिर में आये दिन ऐसे चमत्कार होते है।  जिससे विज्ञानं भी अपने हाथ जोड़ लेता है।  

5.हनुमान गढ़ी मंदिर कैसे आये।

                                                                                      हनुमान गढ़ी मंदिर कैसे आये।

हनुमान गढ़ी मंदिर उत्तर प्रदेश के  अयोध्या शहर में स्थित है।  अयोध्या शहर आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अगर आप हनुमान गढ़ी के दर्शन करना कहते हो तो आप यहाँ आराम से पोहच सकते हो।

हनुमान गढ़ी मंदिर  अयोध्या रेल्वे स्टेशन से महज  1.5  किलोमीटर  की दूरी पर स्थित है।  और आयोध्या रेल्वे स्टेशन से आपको हनुमान गाढ़ी के लिए ऑटो मिल जाता है। आप चाहो तो  आयोध्या की इस पावन भूमि पर पैदल जा कर और भी अच्छे से मंदिरों का दर्शन कर सकते हो।  आयोध्या रेल्वे स्टेशन भारत के अन्य छोटे बड़े रेल्वे स्टेशन से बहुत अच्छे से जोड़ा हुवा है।  आप यहाँ दिल्ली , मुंबई , कोलकाता , चेन्नई , बेंगलूर , अमदाबाद , लखनऊ , प्रयागराज , सूरत , वाराणसी , पटना , और भी शहरो से जोड़े हुए है।   

फैजाबाद व अयोध्या जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशन लगभग सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों से भलि-भांति जुड़े हैं। फैजाबाद रेल मार्ग द्वारा लखनऊ से 128 कि.मी., गोरखपुर से 171 कि.मी., प्रयागराज से 157 कि.मी. एवं वाराणासी से 196 कि.मी. है। अयोध्या रेल मार्ग द्वारा लखनऊ से 135 कि.मी., गोरखपुर से 164 कि.मी., प्रयागराज से 164 कि.मी. एवं वाराणासी से 189 कि.मी. है।

आप अगर हवाई मार्ग से यहाँ  हनुमान गढ़ी मंदिर जाना चाहते हे तो आपको  हनुमान गढ़ी मंदिर का लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है , जो अयोध्या से मात्र  152 किलोमीटर दूर है। अयोध्या शहर  गोरखपुर हवाई अड्डे से लगभग 158 किलोमीटर, प्रयागराज हवाई अड्डे से 172 किलोमीटर और वाराणसी हवाई अड्डे से 224 किलोमीटर दूर है।

आप यहाँ बस से और अन्य वाहनों से भी आ सकते हो। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सेवा 24 घंटे उपलब्ध हैं, और सभी छोटे बड़े स्थान से यहां पहुंचना बहुत आसान है। फैजाबाद बस मार्ग द्वारा लखनऊ से 152 कि.मी., गोरखपुर से 158 कि.मी., इलाहाबाद से 172 कि.मी. एवं वाराणासी से 224 कि.मी. है। अयोध्या बस मार्ग द्वारा लखनऊ से 172 कि.मी., गोरखपुर से 138 कि.मी., प्रयागराज से 192 कि.मी. एवं वाराणासी से 244 कि.मी. है।  

6.हनुमान जी की दक्षिणमुखी प्रतिमा और विशेषता

                                                                       हनुमान जी की दक्षिणमुखी प्रतिमा और विशेषता

हनुमान गढ़ी मंदिर में  हनुमान जी की प्रतिमा दक्षिणमुखी है।यहां दिखने वाले हनुमान निशान लोगों को आश्चर्यचकित कर देते हैं। यह एक चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लंबा ध्‍वज है, जो लंका से विजय का प्रतीक है। इसके साथ एक गदा और त्रिशूल भी रखा है।कोई भी शुभ कार्य करने से पहले अयोध्‍या में हनुमान निशान ले जाया जाता है। लगभग 20 लोग इस निशान को हनुमान गढ़ी मंदिर से राम जन्‍म भूमि तक  ले जाते हैं। पहले इसकी पूजा होती है और फिर किसी कार्य की शुरुआत की जाती है।

7.हनुमान जी के गुप्‍त  दर्शन

                                                                                   हनुमान जी के गुप्‍त  दर्शन

हनुमान गढ़ी मंदिर की  गुप्‍त पूजा पद्धति बहुत‍ विशेष और आनोखी  है। देश में ऐसी पूजा और कहीं नहीं होती। हनुमान गढ़ी मंदिर में यह परंपरा सदियों  से चली आ रही है।  हनुमान गढ़ी मंदिर एक गुप्‍त पूजा होती है।जिसमें पुजारियों के अलावा किसी और को आने की अनमुति नहीं होती। यह पूजा सुबह 3 बजे होती है, जिसमें खुद पवन पुत्र हनुमान पूजा में सम्‍मलित 8 पुजारियों को साक्षात दर्शन देते हैं। यह पूजा करीब डेढ़ घंटे की होती है।सबसे अजीब बात तो यह है कि ये पुजारी न तो इस पूजा के बारे में किसी को कुछ बताते हैं और न ही कभी चर्चा करते हैं।क्‍योंकि उनकी भी एक मर्यादा है। बता दें कि मंदिर के पट सुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुल जाते हैं, जो रात 10 बजे तक खुले रहते हैं। अगर आप भी अयोध्या जाने की सोच रहे हैं, तो पहले रामजी के प्रिय भक्‍त हनुमान के दर्शन जरूर करें। हनुमान जी के दर्शन और अनुमति के बिना श्री रामजी के दर्शन करना व्यर्थ है।  

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