भारत के 5 प्रमुख रहस्यमई मंदिर

1.भारत के 5 प्रमुख रहस्यमई मंदिर

भारत को भगवानो का देश कहा जाता है और भारत में करोडो मंदिर है। और हर मंदिर की अपनी कुछ विशेषता और कथा होती है। लेकिन कुछ मंदिर अपने चमत्कार और रहस्य की वहज से हमेशा से प्रसिद्ध रहे है। इन मंदिरो के चमत्कार के आगे तो विज्ञानं भी हर मानता है।

आज के इस blog में हम आपको भारत के 5 प्रमुख रहस्यमई मंदिरो के दर्शन करवाने वाले है। और साथ ही में उनके रहस्य , उनके पीछे की कथा , रहने की जगह , कब और कैसे जाये यह सब जानकारी भी देने वाले है।

2.कामाख्या देवी मंदिर

कामाख्या देवी मंदिर असम में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो देवी कामाख्या को समर्पित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां देवी सती की योनि गिरी थी। यह मंदिर तांत्रिक पूजा के लिए प्रसिद्ध है और यहां की मूर्ति को बहुत पवित्र माना जाता है।

कामाख्या देवी मंदिर

कामाख्या देवी मंदिर की कथा:

कामाख्या देवी मंदिर की कथा देवी सती से जुड़ी हुई है। सती ने अपने पिता दक्ष के घर में यज्ञ के दौरान अपने शरीर को अग्नि में समर्पित कर दिया था, क्योंकि उनके पति भगवान शिव का अपमान किया गया था। सती की मृत्यु के बाद, भगवान शिव ने अपनी पत्नी के शरीर को अपने सर पर रखा और तांडव नृत्य किया, जिससे पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया।

ब्रह्मा और विष्णु ने भगवान शिव को शांत करने के लिए प्रयास किया और सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया, जिन्हें पूरे भारत में फेंक दिया गया। कामाख्या देवी मंदिर उस स्थान पर बनाया गया है जहां सती की योनि गिरी थी।

कामाख्या देवी मंदिर की विशेषता:

कामाख्या देवी मंदिर की विशेषता यह है कि यहां की मूर्ति को बहुत पवित्र माना जाता है और यहां तांत्रिक पूजा की जाती है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां के ज्योतिर्लिंग को बहुत पवित्र माना जाता है।

कामाख्या देवी मंदिर कैसे पहुंचे:

हवाई मार्ग
कामाख्या मंदिर तक पहुंचने के लिए वायु परिवहन एक अच्छा विकल्प है। गोपीनाथ बारडोलोई एयरपोर्ट (गुवाहाटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) मंदिर के सबसे नजदीक है, जो मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस एयरपोर्ट के लिए नई दिल्ली, मुंबई और चैन्नई से नियमित फ्लाइट उपलब्ध हैं।
एयरपोर्ट से मंदिर तक टैक्सी उपलब्ध हैं। यह एक आरामदायक और सुविधाजनक विकल्प है।

रेलवे मार्ग
कामाख्या शहर के लिए रेल परिवहन एक और विकल्प है। कामाख्या जंक्शन रेलवे स्टेशन शहर के लिए एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है, लेकिन देश के सभी कोनों से कनेक्टिविटी के लिए गुवाहाटी रेलवे स्टेशन अधिक उपयुक्त है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद से मंदिर तक टैक्सी उपलब्ध हैं। यह एक बहुत अच्छा विकल्प है।

सड़क मार्ग
कामाख्या मंदिर तक सड़क परिवहन के माध्यम से आसानी से आया जा सकता है , भारत भर से बस और रेलवे गुवाहाटी बस स्टॉप और गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर फुट ओवर ब्रिज को पार करना होगा। उसके बाद, आप ऑटो रिक्शा, बस या टैक्सी के माध्यम से मंदिर तक जा सकते हैं। ऑटो रिक्शा किराया आम तौर पर 100 रुपये है, जबकि बसों के लिए असम ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की सेवाएं उपलब्ध हैं।

होटल और धर्मशालाएं

स्थान का नाम मंदिर से दूरी कमरों के प्रकार
भारत सेवाश्रम संघ 3.9 किमी दो और तीन बेड के नॉन-एयरकंडीशन्ड कमरे, सामुदायिक नॉन-एयरकंडीशन्ड हॉल
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ 4.9 किमी दो और तीन बेड के नॉन-एयरकंडीशन्ड कमरे
होटल पर्वती 400 मीटर दो बेड के एयरकंडीशन्ड कमरे
आईआरए भवन 180 मीटर दो बेड के एयरकंडीशन्ड और नॉन-एयरकंडीशन्ड कमरे
दादा धाम भक्त निवास 850 मीटर दो बेड के एयरकंडीशन्ड और नॉन-एयरकंडीशन्ड कमरे, तीन बेड के नॉन-एयरकंडीशन्ड कमरे
होटल ओम रेजेंसी 850 मीटर दो, तीन, चार, छह और आठ बेड के एयरकंडीशन्ड कमरे

3.वीरभद्र मंदिर

वीरभद्र मंदिर आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के अवतार वीरभद्र को समर्पित है।

मंदिर का इतिहास:

वीरभद्र मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के दौरान हुआ था। मंदिर का निर्माण भगवान शिव के अवतार वीरभद्र की पूजा के लिए किया गया था, जो भगवान शिव के सबसे शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं।

वीरभद्र मंदिर

मंदिर की वास्तुकला:

वीरभद्र मंदिर एक विशाल और सुंदर मंदिर है, जो द्रविड़ वास्तुकला शैली में बनाया गया है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान वीरभद्र की मूर्ति स्थापित है, जो अपने पूरे वैभव में दिखाई देती है। मंदिर के परिसर में कई अन्य देवताओं के मंदिर भी हैं, जिनमें भगवान गणेश, भगवान हनुमान और देवी पार्वती के मंदिर शामिल हैं।

मंदिर की विशेषता:

वीरभद्र मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो अपनी वास्तुकला और रहस्यमयी विशेषताओं के लिए जाना जाता है। मंदिर में 70 स्तंभों में से एक स्तंभ जो जमीन से उठा हुआ है और मंदिर की छत को छूता है, वह एक रहस्यमयी और आकर्षक विशेषता है।

इस स्तंभ को “हैंगिंग पिलर” भी कहा जाता है, और यह पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। कई लोग इस स्तंभ के नीचे से कपड़ा निकालते हुए इसका परीक्षण करते हैं और इसके साथ फोटो खींचते हैं।

यह स्तंभ एक वास्तुकला की दृष्टि से अद्वितीय है और इसके निर्माण के पीछे कई कहानियां और मान्यताएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह स्तंभ एक प्राचीन वास्तुकला की तकनीक का उदाहरण है, जबकि अन्य लोगों का मानना है कि यह एक रहस्यमयी और आध्यात्मिक महत्व का स्तंभ है।

वीरभद्र मंदिर की यह विशेषता न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षक है, बल्कि यह एक वास्तुकला और इतिहास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

मंदिर के दर्शन का समय:
वीरभद्र मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक है।

वीरभद्र मंदिर कैसे पहुंचे:
वीरभद्र मंदिर लेपाक्षी में स्थित है, जो आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप हैदराबाद से लेपाक्षी के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप लेपाक्षी से ऑटो रिक्शा या टैक्सी भी ले सकते हैं।

मंदिर के आसपास के स्थान:
वीरभद्र मंदिर के आसपास कई अन्य स्थान हैं, जिनमें भगवान गणेश का मंदिर, भगवान हनुमान का मंदिर और देवी पार्वती का मंदिर शामिल हैं। मंदिर के आसपास कई अन्य स्थान भी हैं, जिनमें लेपाक्षी का ऐतिहासिक किला और लेपाक्षी का संग्रहालय शामिल हैं।

मंदिर के उत्सव:

वीरभद्र मंदिर में कई उत्सव और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें महाशिवरात्रि, वीरभद्र जयन्ती और नवरात्रि शामिल हैं। महाशिवरात्रि के दौरान, मंदिर में विशेष पूजा और अभिषेक किया जाता है, और भक्तों को विशेष प्रसाद वितरित किया जाता है। वीरभद्र जयन्ती के दौरान, मंदिर में विशेष पूजा और यज्ञ किया जाता है, और भक्तों को विशेष प्रसाद वितरित किया जाता है। नवरात्रि के दौरान, मंदिर में विशेष पूजा और अभिषेक किया जाता है, और भक्तों को विशेष प्रसाद वितरित किया जाता है।

मंदिर के पास ठहरने के स्थान:
वीरभद्र मंदिर के पास कई ठहरने के स्थान हैं, जिनमें होटल, धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस शामिल हैं। मंदिर के पास ठहरने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

होटल:

Hotel Name Location Distance from Virbhadra Mandir Price (per night) Amenities Rating
Hotel The Glory IDPL Colony 3.4 km ₹1,464 Jungle safari, restaurant 3.3/5
Nature’s Blessing Rishikesh Geeta Nagar 2.7 km ₹1,685 Apartment, elevator, parking 3.8/5
Hotel JSR Residency Barrage Colony 3.7 km ₹1,815 Jungle safari, free parking, couple-friendly N/A
Vedika Home Stay Amit Gram, Rishikesh 1.7 km ₹2,233 Homestay, caretaker, private parking 4.4/5
Hub of Joys Hostel Tapovan 10.7 km ₹903 Bonfire, restaurant, indoor games 3.0/5
Ganges Retreat Nirmal Bag 3.3 km ₹3,149 Serviced apartment, peaceful location N/A

 

धर्मशालाएं

Dharamshala Name Location Distance from Virbhadra Mandir Price (per room per night) Amenities
वीरभद्र धर्मशाला Near Virbhadra Mandir 0.5 किमी               ₹ 999 पार्किंग, रेस्टोरेंट, वाई-फाई
लेपाक्षी धर्मशाला Near Virbhadra Mandir 1 किमी               ₹ 999 पार्किंग, रेस्टोरेंट, वाई-फाई
श्री वीरभद्र धर्मशाला Near Virbhadra Mandir 1.5 किमी               ₹ 999 पार्किंग, रेस्टोरेंट, वाई-फाई
गणेश धर्मशाला Near Virbhadra Mandir 2 किमी               ₹ 999 पार्किंग, रेस्टोरेंट, वाई-फाई
हरि ओम धर्मशाला Near Virbhadra Mandir 2.5 किमी               ₹ 999 पार्किंग, रेस्टोरेंट, वाई-फाई

 

4.काल भैरव मंदिर

उज्जैन काल भैरव मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसका उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन इसकी मान्यता बहुत पुरानी है। मंदिर का नाम “काल भैरव” भगवान शिव के एक अवतार के नाम पर रखा गया है, जो समय और मृत्यु के देवता माने जाते हैं।

उज्जैन के काल भैरव मंदिर में एक अनोखी परंपरा है, जहां काल भैरव की मूर्ति को मदिरा चढ़ाई जाती है और बाबा भी मदिरापान करते हैं। यह परंपरा वाम मार्गी संप्रदाय से जुड़ी हुई है, जो कि एक विशेष प्रकार की आस्था और अंधविश्वास को दर्शाती है।

काल भैरव मंदिर

मंदिर में प्रवेश करते ही हमें एक विशाल और सुंदर मूर्ति दिखाई दी, जो काल भैरव की थी। मूर्ति के सामने एक छोटा सा मंदिर था, जहां भक्तगण पूजा और दर्शन के लिए आते थे। हमने देखा कि मूर्ति के पास एक छोटा सा बर्तन रखा हुआ था, जिसमें मदिरा चढ़ाई जाती थी।

हमने मंदिर के पुजारी से पूछा कि यह परंपरा क्यों और कैसे शुरू हुई, तो उन्होंने बताया कि यह परंपरा बहुत पुरानी है और इसके पीछे एक विशेष कथा है। कथा यह है कि काल भैरव ने एक बार अपने भक्त की रक्षा के लिए मदिरा पी थी, ताकि वह अपने भक्त को बचा सकें। तब से ही यह परंपरा चली आ रही है कि काल भैरव की मूर्ति को मदिरा चढ़ाई जाती है और बाबा भी मदिरापान करते हैं।

हमने यह भी देखा कि मंदिर में कई भक्तगण मदिरा लेकर आए थे और वे मूर्ति के सामने मदिरा चढ़ा रहे थे। हमने एक भक्त से पूछा कि वह मदिरा क्यों चढ़ा रहे हैं, तो उन्होंने बताया कि यह उनकी आस्था है और वे काल भैरव को मदिरा चढ़ाने से अपनी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंदिर का समय:

सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक

उज्जैन में काल भैरव मंदिर कैसे पहुंचे:

1. हवाई मार्ग: उज्जैन के निकटतम हवाई अड्डा इंदौर हवाई अड्डा है, जो कि लगभग 55 किमी दूर है। इंदौर से उज्जैन के लिए टैक्सी या बस उपलब्ध हैं।

2. रेल मार्ग: उज्जैन रेलवे स्टेशन एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है, जो कि भारत के कई शहरों से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से काल भैरव मंदिर के लिए टैक्सी या ऑटो रिक्शा उपलब्ध हैं।

3. सड़क मार्ग: उज्जैन सड़क मार्ग से भारत के कई शहरों से जुड़ा हुआ है। उज्जैन के लिए बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं।

भारत के 5 प्रमुख रहस्यमई मंदिर

Hotel Name Distance from Temple Room Types Price Range (Approx)
Bharat Sevashram Sangh 3.9 km Non-AC rooms (2 and 3 beds), community hall ₹500 – ₹1,000 per night
Shri Chaitanya Gaudiya Math 4.9 km Non-AC rooms (2 and 3 beds) ₹400 – ₹800 per night
Hotel Parvati 400 meters AC rooms (2 beds) ₹1,200 – ₹2,000 per night
IRA Bhavan 180 meters AC and Non-AC rooms (2 beds) ₹800 – ₹1,800 per night
Dada Dham Bhakt Niwas 850 meters AC and Non-AC rooms (2 beds), Non-AC rooms (3 beds) ₹600 – ₹1,500 per night
Hotel Om Regency 850 meters AC rooms (2, 3, 4, 6, and 8 beds) ₹1,000 – ₹3,000 per night

Note: Prices are approximate and may vary depending on season and availability.

5.ककनमठ मंदिर

भारत में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से कुछ के बारे में कहा जाता है कि वे भूतों के अधिकार में हैं। इनमें से एक मंदिर सिहोनियां कस्बे में स्थित है, जो कि मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में है। इस मंदिर को भूतों का मंदिर कहते हैं, और यहां पर कई चौकाने वाली चीजें हैं। मंदिर का निर्माण हजार साल पहले किया गया था, और इसकी प्राचीन दीवारें आज भी मजबूती के साथ खड़ी हुई मिलेंगी। मंदिर के परिसर में कई प्राचीन मूर्तियां और चित्र बनाए गए हैं, जो कि भगवान शिव और विष्णु की हैं। मंदिर के निकट कई अन्य प्राचीन मंदिर और स्थल हैं, जिनमें खजुराहो के मंदिर, पन्ना नेशनल पार्क और रानी दुर्गावती म्यूजियम शामिल हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या बस से मुरैना जिले के लिए जाना होगा, और फिर वहां से टैक्सी या ऑटो रिक्शा से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

ककनमठ मंदिर

यहाँ पर ककनमठ मंदिर के बारे में दी गई जानकारी को तालिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है:

विवरण जानकारी
स्थान सिहोनिया गांव, मुरैना ज़िला, मध्य प्रदेश
समर्पित भगवान शिव
निर्माणकाल 11वीं शताब्दी
निर्माता कच्छपघाट राजवंश के शासक कीर्तिराज
ऊंचाई (वर्तमान) 115 फ़ुट
शिखर की मूल ऊंचाई 100 फ़ुट (अब घटकर 40 फ़ुट रह गई है)
खास विशेषताएँ जटिल नक्काशी, शानदार मूर्तियां, और सही अनुपात
लोककथाएँ माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था
हमला 13वीं शताब्दी में ऐबक और इल्तुतमिश की सेनाओं द्वारा
भारतीय विरासत स्थल का दर्जा 20वीं शताब्दी
खंडित मूर्तियों के अवशेष मंदिर परिसर में मौजूद

यह तालिका ककनमठ मंदिर के ऐतिहासिक और वास्तुकला महत्व को स्पष्ट करती है।

6.तिरुपति बालाजी (वेंकटेश्वर स्वामी)

तिरुपति बालाजी मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थित है और हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है।

तिरुपति बालाजी

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर का निर्माण चोल राजवंश के राजा यशोवर्मन के आदेश पर किया गया था। मंदिर का नाम “तिरुपति बालाजी” भगवान वेंकटेश्वर के एक नाम से लिया गया है, जिसका अर्थ है “तिरुपति के भगवान”।

मंदिर की वास्तुकला:

मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक दक्षिण भारतीय शैली में बनाई गई है, जो कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई प्राचीन मंदिरों में देखी जा सकती है। मंदिर का गर्भगृह और मंडप पत्थर से बनाए गए हैं, और इसकी दीवारों पर कई प्राचीन मूर्तियां और चित्र बनाए गए हैं।

मंदिर का महत्व:

तिरुपति बालाजी मंदिर हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है, जहां भगवान वेंकटेश्वर की पूजा की जाती है। मंदिर में पूजा और दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर के परिसर में एक कुंड भी है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते हैं और पूजा करते हैं।

मंदिर के उत्सव:

मंदिर में कई उत्सव और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें ब्रह्मोत्सवम, वैकुंठ एकादशी और रथ सप्तामी शामिल हैं। इन उत्सवों के दौरान मंदिर में विशेष पूजा और अभिषेक किया जाता है, और भक्तों को विशेष प्रसाद वितरित किया जाता है।

मंदिर की कैसे पहुंच:

तिरुपति बालाजी मंदिर तिरुपति शहर में स्थित है, जो कि आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद से लगभग 550 किमी दूर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या बस से तिरुपति शहर जाना होगा, और फिर वहां से टैक्सी या ऑटो रिक्शा से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

होटल:

Hotel Name Distance from Temple Room Types Price Range (Approx)
Sri Venkateswara Guest House 500 meters Non-AC and AC rooms (2 and 3 beds) ₹500 – ₹1,500 per night
Hotel Bliss 1.5 km AC rooms (2 beds, suites) ₹2,500 – ₹5,000 per night
Fortune Select Grand Ridge 4 km AC deluxe rooms, suites ₹4,000 – ₹8,000 per night
Ramee Guestline Hotel 5 km AC rooms (standard, deluxe, suites) ₹2,000 – ₹4,500 per night
Hotel PLR Grand 2 km AC and Non-AC rooms ₹1,200 – ₹3,500 per night
Pai Viceroy Hotel 3 km AC rooms (deluxe and suites) ₹2,000 – ₹4,000 per night
TTD Choultries (Govt Guesthouses) 500 meters Non-AC rooms (basic amenities) ₹200 – ₹500 per night

 

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