स्थित 7 प्रमुख मंदिर
ब्रम्हपुत्री नदी असम की सबसे प्रमुख नदी है। यह नदी भारत के आद्यात्मिक , सांस्कृतिक और मानव जीवन में मुख्य भूमिका निभाती है। इस किये यहाँ नदी यहाँ के लोको के लिए पूजनीय है।
आज हम ब्रम्हपुत्री नदी के किनारे स्थित 7 प्रमुख मंदिर के बारे में जानने वाले है। हम आपको इन मंदिरो की विशेषता , महत्त्व , कथा , रहने की व्यवथा के बारे में बताने वाले है।
असम सरकार को केंद्रीय पोर्ट, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय से 10 जलमार्ग परियोजनाओं को विकसित करने की मंजूरी मिल गई है। इन परियोजनाओं के तहत राज्य के सात प्रमुख मंदिरों को ब्रह्मपुत्र नदी के जल मार्ग से जोड़ा जाएगा, जो टूरिज्म को बढ़ावा देने में मदद करेगा ।
इन परियोजनाओं में से कुछ प्रमुख परियोजनाएं हैं
– धुबरी और माजुली में स्लिपवे का निर्माण: यह परियोजना ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे नदी पर्यटन और जल क्रीड़ा विकसित करने में मदद करेगी।
– गोलपारा, गुइजान, कुरुवा, धुबरी, दिसांगमुख और मटमारा में यात्री टर्मिनल का निर्माण: यह परियोजना ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे यात्री टर्मिनल का निर्माण करेगी, जो नदी पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
– ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे नदी पर्यटन और जल क्रीड़ा विकसित करने के लिए परियोजनाएं: यह परियोजना ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे नदी पर्यटन और जल क्रीड़ा विकसित करने में मदद करेगी, जो टूरिज्म को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
1. कामाख्या मंदिर (शक्तिपीठ)
कामाख्या देवी मंदिर ब्रम्हपुत्री नदी के किनारे असम में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो देवी सती को समर्पित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां देवी सती की योनि गिरी थी। यह मंदिर तांत्रिक पूजा के लिए जाना जाता है, और यहां की मूर्ति को बहुत पवित्र और जागृत माना जाता है।
कामाख्या देवी मंदिर की विशेषता:
कामाख्या देवी मंदिर की विशेषता यह है कि यहां की मूर्ति को बहुत पवित्र और जागृत माना जाता है और यहां तांत्रिक गतिविधि की जाती है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां के ज्योतिर्लिंग को बहुत पवित्र माना जाता है। जहा के महा भैरव को सबसे शक्तिशाकि मन जाता है।
22 से 25 जून के बीच कामाख्या मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल रहता है। मान्यता है कि इन दिनों माता सती रजस्वला में होती हैं। जिस कारण मंदिर में 3 दिन के लिए पुरुषों की प्रवेश बंद हो जाती है।
कामाख्या देवी मंदिर शक्तिपीठ की कथा:
कामाख्या देवी मंदिरशक्तिपीठ की कथा माता देवी सती से जुड़ी हुई है। सती ने अपने पिता दक्ष के घर में यज्ञ के दौरान अपने शरीर को अग्नि में समर्पित कर दिया था, क्योंकि उनके पति भगवान शिव का अपमान किया गया था। सती की मृत्यु के बाद, भगवान शिव ने अपनी पत्नी के शरीर को अपने सर पर रखा और तांडव नृत्य किया, जिससे पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया।
ब्रह्मा और विष्णु ने भगवान शिव को शांत करने के लिए प्रयास किया और सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया, जिन्हें पूरे भारत में फैला दिया गया। कामाख्या देवी मंदिर उस स्थान पर बनाया गया है जहां सती की योनि गिरी थी।
कामाख्या देवी मंदिर कैसे पहुंचे:
हवाई मार्ग
कामाख्या मंदिर तक पहुंचने के लिए वायु परिवहन एक अच्छा विकल्प है। गोपीनाथ बारडोलोई एयरपोर्ट (गुवाहाटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) मंदिर के सबसे नजदीक है, जो मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस एयरपोर्ट के लिए नई दिल्ली, मुंबई और चैन्नई से नियमित फ्लाइट उपलब्ध हैं।
एयरपोर्ट से मंदिर तक टैक्सी उपलब्ध हैं। यह एक आरामदायक और सुविधाजनक विकल्प है।
रेलवे मार्ग
कामाख्या शहर के लिए रेल परिवहन एक और विकल्प है। कामाख्या जंक्शन रेलवे स्टेशन शहर के लिए एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है, लेकिन देश के सभी कोनों से कनेक्टिविटी के लिए गुवाहाटी रेलवे स्टेशन अधिक उपयुक्त है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद से मंदिर तक टैक्सी उपलब्ध हैं। यह एक बहुत अच्छा विकल्प है।
सड़क मार्ग
कामाख्या मंदिर तक सड़क परिवहन के माध्यम से आसानी से आया जा सकता है , भारत भर से बस और रेलवे गुवाहाटी बस स्टॉप और गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर फुट ओवर ब्रिज को पार करना होगा। उसके बाद, आप ऑटो रिक्शा, बस या टैक्सी के माध्यम से मंदिर तक जा सकते हैं। ऑटो रिक्शा किराया आम तौर पर 100 रुपये है, जबकि बसों के लिए असम ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की सेवाएं उपलब्ध हैं।
2. पांडुनाथ मंदिर
पंडुनाथ मंदिर असम के काजिरंगा नेशनल पार्क में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को द्वापरयुग में बनाया था। इस लिया यहाँ महाभारत के साबुत मितले है।
पंडुनाथ मंदिर का इतिहास:
पंडुनाथ मंदिर की कथा के अनुसार, जब पांडव अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे, तो उन्होंने भगवान शिव की पूजा करने का फैसला किया था। भगवान शिव ने पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था। इसलिए इस मंदिर का नाम पंडुनाथ मंदिर रखा गया है
पंडुनाथ मंदिर की विशेषताएं:
पंडुनाथ मंदिर की कई विशेषताएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
भगवान शिव को समर्पित
महाभारत काल में पांडवों से संबंध
काजिरंगा नेशनल पार्क में स्थित
प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल
पंडुनाथ मंदिर कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग – यहां पहुंचने के लिए आपको गुवाहाटी एयरपोर्ट पहुंचना होगा। वहां से गुवाहाटी शहर के लिए टैक्सी या ऑटो- रिक्शा लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग – गुवाहाटी रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से टैक्सी या ऑटो लेकर नाव के लिए घाट तक पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग – गुवाहाटी शहर के अलग-अलग हिस्सों से आप टैक्सी या बस लेकर नदी के किनारे स्थित पंडुनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
पंडुनाथ मंदिर का समय
सुबह 5:30 बजे से 1 बजे तक, दोपहर 3:30 से शाम 6:30 बजे तक।
3.उमानंद भैरव मंदिर
उमानंद भैरव मंदिर असम में ब्रह्मपुत्र नदी के एक छोटे से द्वीप के पर स्थित है, जो असम के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे दुनिया के सबसे छोटे बसे हुए नदी द्वीप के नाम में से प्रसिद्ध है। यहाँ मंदिर भस्म काला के नाम पर्वत पर बना है। यह मंदिर भगवान शिव के अवतार भैरव जी इस को समर्पित है। इस लिए इस मंदिर का नाम उमानंद भैरव मंदिर पड़ा है।
उमानंद मंदिर का इतिहास
उमानंद भैरव मंदिर का हमेशा से मुसीबतो का शिकार होता आया है। यह मंदिर 1694 ई में अहोम राजवंश के शासक राजा गदाधर सिंघा के आदेश पर बनाया गया था। हालांकि, मुगल सेना ने मंदिर को अपवित्र कर दिया था और औरंगजेब ने मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया था। इसके बाद, 1897 के विनाशकारी भूकंप में मंदिर को बहुत नुकसान पहुंचा था। इसके बाद, एक अमीर स्थानीय व्यापारी ने मंदिर का पुननिर्माण करवाया था।
प्रारंभिक मध्ययुगीन काल से संबंधित पत्थर की मूर्तियां और नक्काशी भी यहाँ पाई जाती हैं, जो इस जगह की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करती हैं।
गणेश की चट्टानों को काटकर बनाई गई आकृतियों और एक गुफा के अलावा, चतुर्भुज पत्थर की महिला आकृति भी यहाँ मौजूद है, जो इस जगह की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है।
उमानंद भैरव मंदिर कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग – यहां पहुंचने के लिए आपको गुवाहाटी एयरपोर्ट पहुंचना होगा जो की भारत के प्रमुख हवाई अड्डे जैसे मुंबई , दिल्ही , कोलकाता से अच्छे से जुड़े हुआ है । फिर आप उमानंद भैरव के लिए टैक्सी या ऑटो- रिक्शा लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं। फिर आप आगे नाव के माध्यम से मंदिर तक पोहच सकते है।
रेल मार्ग – गुवाहाटी रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से टैक्सी या ऑटो लेकर नाव के लिए घाट तक पहुंच सकते हैं। फिर आप आगे नाव के माध्यम से मंदिर तक पोहच सकते है।
सड़क मार्ग – गुवाहाटी शहर सड़क मार्ग से के अलग-अलग हिस्सों से जुड़ा हुआ है। आप टैक्सी या बस लेकर नदी के किनारे स्थित नाव घाट तक पहुंच सकते हैं। यहां से आपको उमानंद द्वीप के लिए नाव सेवा मिल जाएंगी।
मंदिर का समय
सुबह 5:30 बजे से 1 बजे तक, दोपहर 3:30 से शाम 6:30 बजे तक।
4. अश्वक्लांत मंदिर
अश्वक्लांत मंदिर एक प्रमुख हिंदू मंदिर है, जो गुवाहाटी, असम में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार अश्वक्लांत को समर्पित है।
अश्वक्लांत मंदिर का इतिहास:
अश्वक्लांत मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर पाल राजवंश के शासकों द्वारा बनाया गया था।
अश्वक्लांत मंदिर की विशेषताएं:
अश्वक्लांत मंदिर की कई विशेषताएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
भगवान विष्णु के अवतार अश्वक्लांत को समर्पित
10वीं शताब्दी में बनाया गया
पाल राजवंश के शासकों द्वारा बनाया गया
असम के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक
अश्वक्लांत मंदिर का महत्व:
अश्वक्लांत मंदिर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार अश्वक्लांत को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं।
अश्वक्लांत मंदिर की यात्रा करने से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
5.गोविंद मंदिर
गोविंद मंदिर एक प्रमुख हिंदू मंदिर है, जो असम के गुवाहाटी शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान कृष्ण के अवतार गोविंद को समर्पित है।
गोविंद मंदिर का इतिहास:
गोविंद मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह मंदिर 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर अहोम राजवंश के शासकों द्वारा बनाया गया था।
गोविंद मंदिर की विशेषताएं:
गोविंद मंदिर की कई विशेषताएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
भगवान कृष्ण के अवतार गोविंद को समर्पित
18वीं शताब्दी में बनाया गया
अहोम राजवंश के शासकों द्वारा बनाया गया
असम के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक
गोविंद मंदिर का महत्व:
गोविंद मंदिर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह मंदिर भगवान कृष्ण के अवतार गोविंद को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं।
6.चक्रेश्वर मंदिर
चक्रेश्वर मंदिर एक प्रमुख हिंदू मंदिर है, जो असम के गुवाहाटी शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे चक्रेश्वर शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
चक्रेश्वर मंदिर का इतिहास:
चक्रेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर पाल राजवंश के शासकों द्वारा बनाया गया था।
चक्रेश्वर मंदिर की विशेषताएं:
चक्रेश्वर मंदिर की कई विशेषताएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
भगवान शिव को समर्पित
12वीं शताब्दी में बनाया गया
पाल राजवंश के शासकों द्वारा बनाया गया
असम के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक
चक्रेश्वर मंदिर का महत्व:
चक्रेश्वर मंदिर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं।
7.औनियाती सात्रा मंदिर
औनियाती सात्रा मंदिर एक प्रमुख हिंदू मंदिर है, जो असम के गुवाहाटी शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और इसे औनियाती सात्रा के नाम से भी जाना जाता है।
औनियाती सात्रा मंदिर का इतिहास:
औनियाती सात्रा मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह मंदिर 17वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर अहोम राजवंश के शासकों द्वारा बनाया गया था।
औनियाती सात्रा मंदिर की विशेषताएं:
औनियाती सात्रा मंदिर की कई विशेषताएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित
17वीं शताब्दी में बनाया गया
अहोम राजवंश के शासकों द्वारा बनाया गया
असम के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक
औनियाती सात्रा मंदिर का महत्व:
औनियाती सात्रा मंदिर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं।